लक्ष्य
और उपलब्धियां
प्रधानमंत्री
का स्वतंत्रता
दिवस 15 अगस्त,
2016 का संबोधन
क्र सं |
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उपलब्धि |
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हमारे देश में ग्रामीण सड़क...हर गांव के नागरिक की अपेक्षा रहती है कि उसको एक पक्की सड़क मिले। काम बहुत बड़ा है, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने विशेष ध्यान दे करके इसको शुरु किया था। और बाद में भी सरकार ने इसको continue किया, आगे बढ़ाया। हमने उसमें गति देने का प्रयास किया है। पहले एक दिन में 70-75 किलोमीटर का ग्रामीण सड़क का काम हुआ करता था, आज उस रफ्तार को तेज करके हम प्रतिदिन 100 किलोमीटर की ओर ले गए हैं। ये गति आने वाले दिनों में सामान्य मानव की अपेक्षाओं को पूर्ण करेंगी |
नवीनतम अपडेट ● प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत सड़कों के निर्माण की गति 2017-18 में 134 किमी प्रतिदिन पहुंच गयी जो कि 2011-14 के बीच औसतन 73 किमी प्रतिदिन रही थी। यह निर्माण की गति में 93% की वृद्धि है। ● पीएमजीएसवाई-I के पूरा होने के समय को 2022 से घटाकर के 2019 कर दिया गया है। ● 1,66,012 बस्तियों के लिये पीएमजीएसवाई सड़कों को, जो कि कुल योग्य 1,78,184 बस्तियों का 93% है, के लिये पहले ही मंजूर किया जा चुका है। ● 1,52,124 बस्तियों के लिये संपर्क साधनों का पहले ही विकास किया जा चुका है (इसमें राज्यों द्वारा जोड़ी गयीं 16,380 बस्तियां भी शामिल हैं). इस प्रकार योग्य बस्तियों में से कुल 1% से भी कम बस्तियां ऐसी बची हैं जिनके लिये संपर्क साधनों के विकास को पीएमजीएसवाई के तहत मंजूरी दी जानी है, शेष 6% के मामले में या तो ऐसा करना दुष्कर है या फिर राज्य अपने संसाधनों से उनके लिये संपर्क मार्गों के विकास को मंजूर कर चुके हैं। ● इसके अतिरिक्त 100 से 249 जनसंख्या वाली 2109 बस्तियों को भी जोड़ा जा चुका है।
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मारे देश में ऊर्जा और उसमें भी Renewable Energy इस पर हमारा बल है। एक समय था, जो हमारे देश में इतने सालों में आजादी के बाद wind energy में काम हुआ, पवन ऊर्जा में काम हुआ, पिछले एक साल के भीतर-भीतर करीब-करीब 40 प्रतिशत उसमें हमने वृद्धि की है, ये है उसकी गति का मायना। Solar Energy...पूरा विश्व Solar Energy की ओर बल दे रहा है। हमने 116% बढ़ोत्तरी की है। ये बहुत बड़ा, ये incremental change नहीं है, ये बहुत बड़ा high-jump है। हम चीजों को उसके quantum की दृष्टि से हम आगे बढ़ाना चाहते हैं। |
. 1. भारत में अक्षय ऊर्जा परिदृश्य के लिये पिछले 4 वर्ष ऐतिहासिक रहे हैं। 2. अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता पहले ही 70 गीगावाट के ऊपर पंहुच चुकी है। 40 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता का विकास या तो चल रहा है या फिर इसके लिये निविदायें सौंपी जा चुकी हैं। 3. सौर ऊर्जा की क्षमता जो कि 2014 में 2.63 गीगावाट थी यह 8 गुना बढ़कर 22 गीगावाट पंहुच चुकी है। 4. पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता जो कि 2014 में 21 गीगावाट थी अब 1.6 गुना बढ़कर 34 गीगावाट हो गयी है। 5. मार्च 2020 तक 115 गीगावाट क्षमता की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये निविदा जारी करने के मार्ग की घोषणा। 6. 175 गीगावाट की स्थापित क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करने के मार्ग पर अग्रसर। 7. 6 दिसंबर 2017 को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन पहला ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठन बना जिसका कि मुख्यालय भारत में है।
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हमारे देश में किसान का भला तब होगा, जब हम Value additionकी तरफ जाएंगे और Value addition की ओर जाने के लिए,हमने पहली बार food processing को विशेष रूप से बल दिया है। 100% Foreign Direct Investment को हमने प्रोत्साहित किया है जिसके कारण कृषि आधारित उद्योगों को बल मिलेगा और कृषि आधारित उद्योगों को जब बल मिलेगा, तो मेरे भाइयो-बहनों मुझे विश्वास है कि हमारे किसान को और जो मेरा सपना है, कि 2022 में किसान की income को double करना है,ये चीजें हैं जिसके द्वारा ये संभव होने वाला है और उसके लिए हमने एक के बाद एक कदम उठाए हैं। |
किसानों की आय में व्यापक वृद्धि के लिये सरकार ने 2018-19 में सभी खरीफ फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर लागत का कम से कम 150% करने के ऐतिहासिक निर्णय की घोषणा की। 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये कृषि सहयोग एवं कृषक कल्याण विभाग ने सभी संबंधित विभागों और नीति आयोग के सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: ● कैबिनेट द्वारा किसानों को प्राकृतिक आपदा, कीड़ों और बीमारियों की वजह से उनकी किसी भी अधिसूचित फसल का नुकसान होने की हालत में व्यापक बीमा सुरक्षा मुहैया कराने के लिये योजना 13.1.2016 को मंजूर की गयी। ● इसका लक्ष्य किसानों के बीमित सकल बुवाई क्षेत्रों की संख्या को 2018-19 तक 20 से बढ़ाकर 50% करना है। ● 2017-18 के दौरान 4.84 करोड़ कृषक आवेदक इसके दायरे में लाये गये और 514 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल का 1,97,302 करोड़ रुपये की बीमा राशि के लिये 25,182 करोड़ रुपये के प्रीमियम पर बीमा किया गया। ● 2017 की खरीफ की फसल के लिये रु. 15,987 करोड़ के भुगताने के दावे में से रु. 11,112 करोड़ के दावे मंजूर किये गये और रु. 9,264 करोड़ के दावों का भुगतान किया जा चुका है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई): ● 1 जुलाई 2015 को 'हर खेत को पानी' के स्लोगन के साथ जारी की गयी इस योजना का उद्देश्य सुनिश्चित सिंचाई सुविधा वाले खेती के क्षेत्र को बढ़ाना, पानी की बर्बादी को कम करना और जल प्रयोग की कुशलता को सुधारना है। ● 'हर खेत को पानी' का लक्ष्य हासिल करने के लिये पांच वर्षों में रु. 50,000 करोड़ का निवेश किया जाना है। ● प्राथमिकता वाली 99 परियोजनाओं को पूरा करने के लिये 2016-17 और 2017-18 में कुल मिलाकर रु. 40,000 हजार करोड़ रु. राशि के दीर्घकालिक सिंचाई कोष की स्थापना। ● सूक्ष्म सिंचाई का दायरा बढ़ाने के लिये 5,000 करोड़ रु. की राशि के साथ एक पृथक सूक्ष्म सिंचाई कोष की स्थापना। ● 'प्रति बूंद अधिक सिंचाई' पहल के तहत 10 लाख हेक्टेयर भूमि को टपक और फुहारा सिंचाई के दायरे में लाया गया। अगले पांच वर्षों में इन प्रयासों को कई गुना बढ़ाकर एक करोड़ हेक्टेयर भूमि को इस दायरे में लाना ताकि कम पानी के प्रयोग से अधिक उत्पादकता हासिल की जा सके। मृदा स्वास्थ्य पत्र (सॉयल हेल्थ कार्ड): संसाधनों के समुचित प्रयोग के लिये प्रत्येक खेत के हिसाब से किसानों को जारी मृदा स्वास्थ्य पत्रों (सॉयल हेल्थ कार्ड) के जरिये पोषक तत्वों और खाद के बारे में संस्तुतियां दी गयीं। ● सभी राज्यों और संघीय क्षेत्रों ने वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिये प्रथम चरण को सफलतापूर्वक पूरा किया। देश भर में किसानों को 10.73 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किये गये। ● 2017-19 के लिये दूसरा चरण एक मई 2017 से प्रारंभ और अब तक 4.56 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड किसानों को जारी किये गये। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) - एक पहल जिसे 8 राज्यों की 21 मण्डियों में 14 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया था जिसके जरिये सभी कृषक मण्डियों को जोड़ा गया है ताकि किसान किसी भी बाजार में सर्वोत्तम मूल्य पर अपने उत्पाद बेच सकें। ● आज, 18 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों की 585 मण्डिया इस ई-नाम मंच के साथ जुड़ चुकी हैं। ● ई-नाम पोर्टल पर 90 कृषि उत्पादों के लिये क्रय-विक्रय के मानक उपलब्ध कराये गये। ● ई-नाम पोर्टल पर देश भर में 35,430.29 रू. मूल्य और 1.17 करोड़ टन वजन के कृषि उत्पादों की खरीद-फरोख्त पूरी। ● अभी तक एक लाख से अधिक व्यापारी और एक करोड़ से अधिक किसान ई-नाम पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। नीम कोटेड यूरिया: नीम कोटेड यूरिया की शुरुआत से यूरिया का गैर-कृषि कार्यों में प्रयोग असंभव हो गया है और किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध है। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना ● कैबिनेट ने 3 मई 2017 को मंजूरी दी। ● 6 हजार करोड़ रु. के आवंटन से 31,400 करोड़ रु. का प्रबंध किये जाने की आशा, 1,04,125 करोड़ रु. मूल्य के 334 लाख मीट्रिक टन कृषि उत्पादों के रख-रखाव से 20 लाख किसानों को लाभ और 2019-20 तक 5,30,500 प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन। ● 15 विशाल खाद्यान्न पार्कों की स्थापना पूरी। ● पिछले 4 वर्षों में प्रसंस्करण क्षमता में 351 प्रतिशत की विशाल वृद्धि और मंत्रालय द्वारा 15.94 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष प्रसंस्करण क्षमता का निर्माण। ● शीत-भण्डारण की क्षमता में 720% की विशाल वृद्धि। ● मंत्रालय द्वारा संचालित खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं में प्रसंस्करित कृषि उत्पादों में 180% की वृद्धि। ● मेगा फूड पार्कों की संरक्षण और प्रसंस्करण क्षमता में 351% की वृद्धि। ● प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना में तीन योजनाओं - खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों, बैकवर्ड-फॉरवर्ड लिंकेज और इकाई योजना के तहत 2,300 करोड़ के निवेश से 122 परियोजनाओं को मंजूरी। इससे 3.4 लाख प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगारों के सृजन की उम्मीद। ● खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में सरकार 100% तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को ऑटोमौटिक रूट से मंजूरी दे रही है। ● पिछले एक वर्ष में ही एक लाख करोड़ रु. से अधिक निवेश के सहमति पत्रों को मंजूरी जिसमें से 73 हजार करोड़ रु. निवेश की योजनाओं पर कार्य प्रारंभ। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में आये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सालाना आंकड़े इस प्रकार हैं: वर्ष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह (मिलियन अमरीकी डालर)
2014-15 515.86 2015-16 505.88 2016-17 727.22 2017-18 (अप्रैल-मई) 187.90
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भाइयों-बहनों, आज जब हम आजादी के 70 साल मना रहे हैं तब देश में स्वतंत्रता सैनिकों का बड़ा योगदान रहा है। इन स्वतंत्र सैनिकों का योगदान रहा है तो। आज मैं इन सभी मेरे श्रद्धेय स्वतंत्रता सैनिक परिवारजनों को, जो उनको सम्मान राशि मिलती है, जो पेंशन मिलती है। उस पेंशन में बीस प्रतिशत की वृद्धि करने का सरकार निर्णय कर रही है। जिस स्वतंत्रता सेनानी को अगर पहले 25 हजार मिलते थे, तो अब उसको 30 हजार रुपये मिलेंगे। और हमारे इन स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान को एक छोटा-सा, एक मेरा पूजा-अर्चन का प्रयास है। . |
5% अतिरिक्त महंगाई भत्ते के साथ 01.01.2018 से प्रभावी मासिक पेंशन की दर निम्नलिखित सारिणी के अनुसार है। क्रम संख्या- स्वतंत्रता सेनानी की श्रेणी 15.08.2016 से लागू मूल पेंशन रु. में प्रति मास - 01.01.2018 से प्रभावी महंगाई राहत 5% की दर से - सकल पेंशन रुपयों में (प्रति मास) 1 अंडमान के राजनैतिक बंदी/पति या पत्नी - रु. 30,000/- रु. 1500/- रु. 31,500/- 2 स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने ब्रिटिश भारत के बाहर सजा भुगती/उनके पति-पत्नी रु. 28,000/- रु. 1400/- रु. 29,400/- 3 अन्य स्वतंत्रता सेनानी और उनके पति-पत्नी जिसमें आजाद हिंद फौज के सेनानी भी शामिल हैं रु. 26,000/- रु. 1300/- रु. 27,300/- 4 आश्रित माता-पिता/योग्य पुत्रियां (किसी भी समय में अधिकतम 3 पुत्रियां) उस स्वतंत्रता सेनानी को जितनी राशि मिलनी थी उसका 50% जैसे रु. 13,000/- से रु. 15,000/- रु. 650/- से रु. 750/- के दायरे में उस राशि का 50% जो कि उक्त स्वतंत्रता सेनानी को मिलता जैसे कि रु. 13,650/- से रु. 15,750/- के दायरे में।
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हमें याद है, कि वो भी एक दिन थे जब किसी बड़े अस्पताल में जाना हो तो कितने दिनों तक इंतजार करना पड़ता था। AIIMS में लोग आते थे, दो-दो, तीन-तीन दिन बिताते थे, तब जा करके कब उनको जांचा-परखा जाएगा उसका तय होता था। आज उन सारी व्यवस्थाओं को हम बदल पाएं हैं। Online registration होता है, Online डॉक्टर की appointment मिलती है, तय समय पर patient आए तो उसका काम शुरू हो जाता है। इतना ही नहीं, उसके सारे medical records भी उसको Online उपलब्ध होते हैं। और हम इसको आरोग्य के क्षेत्र में देशव्यापी culture के रूप में विकसित करना चाहते हैं। आज सरकार के बड़े-बड़े 40 से अधिक अस्पतालों में इस व्यवस्था को किया है लेकिन इसका मूलमंत्र शासन संवेदनशील होना चाहिए। |
आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा कार्यक्रम (एबी-पीएमएनएचपीएम) ● योजना का उद्देश्य 10 करोड़ निर्धन परिवारों को द्वितीयक एवं तृतीयक श्रेणी के अस्पतालों में उपचार के लिये पांच लाख रु. तक के खर्च के लिये व्यापक स्वास्थ्य सुरक्षा के दायरे में लाना (लगभग 50 करोड़ लाभार्थी)। ● मौजूदा सरकारी स्वास्थ्य सुविधायें जो उप-चिकित्सा केंद्रों (एसएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) के स्तर पर उपलब्ध हैं उन्हें हेल्थ एवं वेलनेस केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) के रूप में सशक्त बनाना। ● पहले हेल्थ एवं वेलनेस केंद्र का प्रधानमंत्री द्वारा 14 अप्रैल 2018 को बीजापुर, छत्तीसगढ़ में उद्घाटन। ● 2022 तक चरणबद्ध ढंग से 1.5 लाख हेल्थ एवं वेलनेस केंद्रों का संचालन आरंभ किया जायेगा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के स्तर तक अस्पतालों में काम करने के तरीके को स्वाचलित बनाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर और कुशल प्रबंधन के लिये एचआईएस (अस्पताल सूचना प्रणाली) लागू की जा रही है। ● ई-अस्पताल अप्लीकेशन को देश भर के 173 अस्पतालों में और ई-सुश्रुत को 80 अस्पतालों में लागू किया गया। ● सार्वजनिक क्षेत्र के तृतीयक श्रेणी के अस्पतालों में रोगी को दिखाने के लिये ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली (ओआरएस) का प्रयोग। करीब 139 अस्पताल इस समय ओआरएस अप्लीकेशन का प्रयोग कर रहे हैं। ● सरकारी अस्पतालों द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में 'मेरा अस्पताल' अप्लीकेशन के जरिये रोगियों के विचार जानकर रोगियों के साथ संवाद बढ़ाकर सुविधाओं को बेहतर बनाना। यह अप्लीकेशन 7 भाषाओं में उपलब्ध है और वर्तमान में 23 राज्य और संघीय क्षेत्र इसके दायरे में हैं। नये एम्स: ● 2015-16 के बजट भाषण में असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, तमिल नाडु एवं बिहार के लिये 6 नये एम्स अस्पतालों की घोषणा। ● 2017-18 के बजट में झारखण्ड एवं गुजरात के लिये 2 नये एम्स की घोषणा।
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भाइयों-बहनों आज आधार कार्ड को सरकारी योजनाओं के साथ जोड़ करके direct benefit के लिए जो भी leakages उसको रोक करके, काम करने पर हम बल दे रहे हैं। पहले की सरकार में, सरकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने में करीब 4 करोड़ लोगों को जोड़ा जा पाया था। आज मुझे संतोष के साथ कहना है कि 4 करोड़ पर काम वहां हुआ था, आज हमने 70 करोड़ नागरिकों को आधार और सरकारी योजनाओं के साथ जोड़ने का काम पूरा कर दिया है और जो बाकी हैं उनको भी पूरा करने का काम चल रहा है। |
● लाभार्थियों के खाते में सहायता राशि को सीधे पहुंचाने के लिये आधार का प्रयोग। ● अप्रैल 2018 तक लाभार्थियों के खातों में 3.88 लाख करोड़ रुपयों का भुगतान। ● फर्जी लाभार्थियों के उन्मूलन से 90,000 हजार करोड़ रुपयों की बचत। ● 30 जून 2018 तक 121.65 करोड़ आधार संख्यायें जारी की गयीं। ● जून 2018 तक 87.79 करोड़ बैंक खाते आधार से जोड़े गये।
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भाइयों–बहनों, हमारे देश के आजादी के इतिहास की बातें होती हैं, तो कुछ लोगों की चर्चा तो बहुत होती है। कुछ लोगों की आवश्यकता से भी अधिक होती हैं। लेकिन आजादी में जंगलों में रहने वाले हमारे आदिवासियों का योगदान अप्रतिम था। वो जंगलों में रहते थे। बिरसा मुंडा का नाम तो शायद हमारे कानों में पड़ता है। लेकिन शायद कोई आदिवासी जिला ऐसा नहीं होगा कि 1857 से लेकर के आजादी आने तक आदिवासियों ने जंग न की हों बलिदान न दिया हो। आजादी क्या होती है? गुलामी के खिलाफ जंग क्या होता है? उन्होंने अपने बलिदान से बता दिया था। लेकिन हमारी आने वाली पीढ़ियों को इस इतिहास से उतना परिचय नहीं है। सरकार की इच्छा है, योजना है। आने वाले दिनों में उन राज्यों में इन स्वतंत्र सेनानी जो आदिवासी थे। जंगलों में रहते थे। अंग्रेजों से जूझते थे। झुकने को तैयार नहीं थे। उनके पूरे इतिहास को समावेश करते हुए, इन वीर आदिवासियों को याद करते हुए एक स्थायी रूप से Museum बनाने के लिए जहां-जहां राज्य के अंदर कोई एकाध जगह हो सकती है जहां सबको समेट करके बड़ा Museum बनाया जा सकता है। और ऐसे अलग-अलग राज्यों में Museum बनाने की दिशा में सरकार काम करेगी, ताकि आने वाली पीढ़ियों को हमारे देश के लिए मर मिटने में आदिवासी कितने आगे थे, उसका लाभ मिलेगा। |
आदिवासी संग्रहालय: ● स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समुदायों के योगदान को दर्शाने के लिये सरकार 6 संग्रहालयों की स्थापना कर रही है। सभी 6 संग्रहालयों में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे वर्चुअल रियलिटी (वीआर), ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर), 3डी/7डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शन जैसी तकनीकों का प्रयोग। ● गुजरात और झारखण्ड स्थित दो संग्रहालय राष्ट्रीय स्तर के होंगे जबकि शेष क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय होंगे। ● गुजरात के आदिवासी संग्रहालय की आधारशिला 17.09.2017 को प्रधानमंत्री द्वारा रखी गयी। ● सितंबर 2018 में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालयों की आधारशिला रखने का प्रस्ताव। आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालयों की स्थापना के लिये मंजूर और जारी धनराशि का विवरण निम्नवत है: (राशि करोड़ रु. में) क्रम सं. - राज्य - आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का स्थान - सकल लागत - मंत्रालय की प्रतिबद्धता - 10 जुलाई 2018 तक जारी राशि 1 आंध्र प्रदेश- लांबासिंगी- 35.00 - 15.00 - 7.50 2 छत्तीसगढ- रायपुर- 25.66 - 15.00 - 4.65 3 गुजरात- राजपीपला- 102.55 - 50.00 - 24.38 4 झारखण्ड- रांची- 36.66 - 25.00 - 8.63 5 केरल- कोझीकोड- 16.16 - 15.00 - 7.50 6 मध्य प्रदेश- छिंदवाड़ा- 38.26- 15.00 - 6.93 कुल योग 135.00 - 59.59
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चाहे भारतमाला हो, चाहे सेतूभारतम हो, चाहे Bharat Net हो ऐसे अनेक प्रकल्पों को हमने बल दिया है। इन सारे प्रकल्पों का हमारा उल्लेख भारत को जोड़ने की दिशा में भी हो, भारत के आर्थिक विकास की दिशा में भी हो, उस दिशा में काम कर रहे हैं। |
. भारतमाला: ● अक्टूबर 2017 में प्रारंभ भारतमाला परियोजना के तहत करीब 66,000 किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की योजना ताकि आर्थिक केंद्रों, पर्यटन एवं धार्मिक महत्व के स्थलों, सीमावर्ती क्षेत्रों, पिछड़े एवं आदिवासी क्षेत्रों, तटीय क्षेत्रों और पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक मार्गों में संपर्क साधनों की आवश्यकता को पूरा किया जा सके। इस परियोजना के तहत 2021-22 तक 5,35,000 करोड़ रु. के निवेश से 34,800 किमी लंबी सड़कों के निर्माण का लक्ष्य। ● इस परियोजना में 5,000 किमी लंबे राष्ट्रीय गलियारे, 9,000 किमी लंबे आर्थिक गलियारे, 6,000 किमी लंबे संपर्क गलियारे और आंतरिक गलियारे, 2000 किमी लंबी सीमावर्ती सड़कें, 2,000 किमी लंबी तटीय सड़कें और बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़कें और 800 किमी लंबे बिलकुल नये राजमार्ग शामिल हैं। ● 7,000 किमी लंबे राजमार्गों के लिये वृहद परियोजना रिपोर्ट तैयार हो चुकी है और करीब 25,000 किमी के लिये काम चल रहा है। 3,000 किमी लंबे राजमार्गों के लिये ठेका दिया जा चुका है। ● दिल्ली में पूर्वी पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का काम और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के एक हिस्से का काम पूरा हो चुका है। अन्य जैसे पश्चिमी पेरीफेरल एक्सप्रेसवे, मुंबई-बड़ौदा एक्सप्रेसवे, बैंगलोर-चेन्नै एक्सप्रेसवे, दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे और ऐसी अन्य अनेक परियोजनाओं पर काम चल रहा है। ● दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों में पुलों और सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है जैसे जम्मू और कश्मीर में ऊधमपुर और रामबन के बीच 9 किमी लंबी सभी मौसमों में काम करने वाली दो ट्यूबों वाली चेनानी-नासहरी सुरंग और असम में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर 9.15 किमी लंबा भूपेन हजारिका सेतु जो कि भारत का सबसे लंबा पुल है। सेतु भारतम परियोजना: ● 2019 तक सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को रेलवे ओवर-ब्रिज और अंडर-पास बनाकर सड़क के स्तर की रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त कर सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिये सेतु भारतम परियोजना आरंभ की गयी। ● 7101.24 करोड़ रु. की अनुमानित लागत वाले 90 रेलवे ओवर-ब्रिज को मंजूरी दी जा चुकी है। 35 से ज्यादा कामों के लिये ठेका दिया जा चुका है। देश भर में पुराने और हर प्रकार के ढांचों के कुल मिला कर 1,72,519 पुलों की जानकारी जुटाने का काम पूरा हो चुका है। भारतनेट: ● गांवों और दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैण्ड और दूसरी डिजिटल सेवायें प्रदान करने के उद्देश्य से देश की सभी 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ना। ● दिसंबर 2017 में एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को जोड़ने का पहले चरण का काम पूरा। ● जुलाई 2017 में भारतनेट को लागू करने के लिये सरकार ने 42,068 करोड़ रु. की अनुमानित लागत वाली एक संशोधित योजना को मंजूरी दी। ● संशोधित योजना के अनुसार परियोजना के दूसरे चरण में शेष 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने का काम मार्च 2019 तक पूरा किया जाना है। ● देश में कुल ब्रॉडबैण्ड कनेक्शनों की संख्या जो कि वर्ष 2014 में 6.1 करोड़ थी वह 2017 में पांच गुना बढ़कर 30 करोड़ के ऊपर पहुंच गयी। ● पिछले तीन वर्षों में टेलीकॉम क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को दो गुना बढ़ाकर ब्रॉडबैण्ड कनेक्शनों की संख्या में इस वृद्धि को संभव बनाया गया है। ● टेलीकॉम बेस स्टेशन जो कि 2014 में 7.9 लाख थे, 2017 में इनकी संख्या बढ़कर 16.8 लाख पहुंच गयी और देश में ऑप्टिकल फॉइबर नेटवर्क की लंबाई जो कि 7 लाख किमी थी वह 2017 में बढ़कर 14 लाख किमी पहुंच गयी है।
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मेरे प्यारे देशवासियों, जब रेल को देखते हैं, डाकघर को देखते हैं तो हमें भारत की एकता भी नजर आती है। हम जितना ज्यादा भारत को जोड़ने वाले प्रकल्पों को आगे बढ़ाएंगे, हमारी व्यवस्थाओं में बदलाव लाएंगे, देश की एकता को बल देगा।और इसलिए हमने किसानों के लिए मंडी e-NAM की योजना की है। आज किसान अपना माल online हिंदुस्तान की किसी भी मंडी में बेच सकता है। अब वो मजबूर नहीं होगा कि अपने खेत से 10 किलोमीटर की दूरी की मंडी पर मजबूरन माल देना पड़े, सस्ते में देना पड़े और उसकी मेहनत की कमाई न हो। अब देशभर में e-NAM के द्वारा एक ही प्रकार की मंडी का Network खड़ा हो रहा है। |
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम), एक ऐसी पहल जिसके जरिये सभी कृषि मण्डियों को जोड़ा गया है जिससे किसान किसी भी बाजार में सर्वोत्तम मूल्य पर अपने उत्पाद बेच सकते हैं। इसे 14 अप्रैल 2016 को 8 राज्यों की 21 मण्डियों के साथ प्रारंभ किया गया था। ● वर्तमान में 18 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों की 585 मण्डियों को ई-नाम से जोड़ा जा चुका है। ● 90 कृषि उत्पादों के क्रय-विक्रय के मानकों को ई-नाम पोर्टल पर उपलब्ध करवाया जा चुका है। ● देश भर में ई-नाम पोर्टल पर 35430.29 करोड़ रुपये मूल्य और 1.17 करोड़ टन वजन के कृषि उत्पादों की इलेक्ट्रानिक खरीद-फरोख्त हो चुकी है। ● अब तक एक लाख से ज्यादा व्यापारी और एक करोड़ से ज्यादा किसान ई-नाम पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं।
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गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में महिलाओं का सशक्तीकरण, महिलाओं का स्वास्थ्य, महिलाओं की आर्थिक सम्पन्नता, शारीरिक सम्पन्नता उस पर बल दे करके हम काम कर रहे हैं और इसलिए मेरे भाइयों-बहनों मुद्रा योजना, मुझे खुशी हुई मुद्रा योजना का लाभ साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा परिवारों ने लिया और उसमें अधिकतम नये लोग थे, जो बैंक के दरवाजें पर पहुंचे। उसमें भी 80% करीब-करीब SC, ST, OBC के थेऔर उसमें भी बैंक में, मुद्रा बैंक में लोन लेने वाली 80% महिलाएं हैं। ये महिलाएं कैसे आर्थिक विकास में योगदान करेंगी। इसकी ओर आप ध्यान देते हैं। |
● सूक्ष्म उद्योगों को विकास के लिये आर्थिक सहयोग (विकास और पूंजी उपलब्ध कराना)। ● तीन श्रेणियों - शिशु, किशोर और तरुण - के तहत बिना गारंटी के आसानी से कर्ज उपलब्ध कराना। ● 'शिशु' उप-योजना के तहत 50 हजार रु. तक के ऋण, 'किशोर' उप-योजना के तहत 50 हजार से 5 लाख रु. तक के ऋण और 'तरुण' उप-योजना के तहत 5 लाख से 10 लाख रु. तक के ऋण उपलब्ध कराना। छोटे व्यापारियों जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति, और महिलायें भी शामिल हैं, इन्हें दिये गये मुद्रा ऋण का विवरण इस प्रकार है: ● वित्तीय वर्ष 2015-16 में 137,449 करोड़ रु. राशि के 34,880,924 कर्ज मंजूर; ● वित्तीय वर्ष 2016-17 में 180,528 करोड़ रु. राशि के 39,701,047 कर्ज मंजूर; ● वित्तीय वर्ष 2017-18 में 253,677.10 करोड़ रु. राशि के 48,130,593 कर्ज मंजूर; ● वित्तीय वर्ष 2018-19 में 56,405.07 करोड़ रु. राशि के 10,348,110 कर्ज मंजूर (20 जुलाई 2018 तक)। 8.04.2015 को इस योजना के आरंभ से 31.3.2018 तक महिला उद्यमियों को 9.03 कर्ज दिये गये, एससी/एसटी/ओबीसी ग्राहकों को 6.70 करोड़ कर्ज और नये उद्यमियों को 3.50 करोड़ कर्ज दिये गये हैं।
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भाइयों-बहनों, LPG के Gas connection गरीब परिवारों को देने का हमने बीड़ा उठाया है। उज्ज्वला योजना के तहत, मेरी गरीब मां को चूल्हे के धूएं से मुक्ति दिलाने का अभियान बहुत तेजी से चलाया है। 5 करोड़ गरीब परिवारों को जब गैस का चूल्हा पहुंचेगा और तीन साल में करने का बीड़ा उठाया, काम चल रहा है। करीब-करीब 50 लाख तक हम पहुंच चुके हैं और वो भी सिर्फ पिछले 100 दिन के अंदरये काम कर दिया है। आप कल्पना कर सकते हैं, हो सकता है। तीन साल के पहले भी इस काम को हम पूरा कर लें last man delivery उस पर हम बल देना चाहते हैं। |
1.5.2016 को प्रारंभ योजना के तहत बिना जमाराशि के 5 करोड़ रसोई गैस (एलपीजी) कनेक्शन गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली महिलाओं को पिछले तीन वर्षों (2016-17 से 2018-19) में उपलब्ध कराये गये। चार वर्षों (2019-20) के लिये इस लक्ष्य को बढ़ाकर 8 करोड़ रसोई गैस कनेक्शन का किया गया। ● गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की महिलाओं को 4.7 करोड़ रसोई गैस के कनेक्शन दिये गये (जुलाई 2018 तक)।
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मेरे भाइयों-बहनों, एक बात जिसको इस समय मैं आपसे कहना चाहूंगा, जो सामान्य मानव से जुड़ी हुई है, वो है महंगाई। ये बात सही है कि पहले की सरकार में Inflation rate 10 प्रतिशत को भी पार कर गया था। हमारे लगातार कदमों के कारण Inflation rate हमने 6 percent से ऊपर जाने नहीं दिया है। इतना ही नहीं अभी तो हमने रिजर्व बैंक के साथ समझौता किया है कि 4% two -plus(+2)- minus(-2) के साथ, Inflation को control करने की दिशा में रिजर्व बैंक कदम उठाए। |
2017-18 में औसत महंगाई दर पिछले 6 वर्षों के दौरान अपने न्यूनतम स्तर पर रही। इस अवधि में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) पर आधारित मुख्य महंगाई दर (हेडलाइन इन्फ्लेशन) औसतन 3.3% के स्तर पर रही जो कि पिछले 6 वित्तीय वर्षों में न्यूनतम स्तर है (जनवरी 2018 तक)। ● राज्य सरकारों को जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और कालाबाजारी निरोधक अधिनियम और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना अधिनियम, 1980 को प्रभावी तरीके से लागू करने की सलाह दी गयी। ● उत्पादकता को लाभप्रद बनाने के लिये बढ़े हुये न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की गयी है ताकि खाद्य पदार्थों की उपलब्धता को बढ़ाया जा सके जो कि मूल्यों को कम करने में सहायक साबित हो। ● दालों, प्याज जैसे कृषि उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिये मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) को लागू किया गया। न्याय प्राप्त करने को सरल बनाया गया और अनावश्यक मुकदमों को सीमित किया गया। करीब 1,824 पुराने पड़ चुके कानूनों को समाप्त करने की योजना जिसमें में 1428 कानूनों को पहले ही निरस्त किया जा चुका है।
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